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मीरजापुर
मीरजापुर जिला भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में है। यह दिल्ली और कोलकाता के ठीक मध्य में है और दोनो से इसकी दूरी तकरीबन 650 किमी है। इसके नजदीक के उत्तर प्रदेश के महानगरों में यह इलाहाबाद से 90 किमी तथा वाराणसी से 60 किमी की दूरी पर है। रेलवे स्टेशन भले ही मिर्जा़पुर लिखा हो पर केन्द्र सरकार के हर विभाग में यह औपचारिक रूप से मीरजापुर के नाम से जाना जाता है।
1 अप्रैल 1989 से पहले मीरजापुर उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला था पर इसी दिन इसके दो भाग हो गये और नये जिले सोनभद्र का उदय हुआ।
यदि हम इसके नाम की चर्चा करें तो मीर यानि समुद्र, जा यानि उत्पन्न होना, इस प्रकार मीरजा यानि जो समुद्र से उत्पन्न हो अर्थात लक्ष्मी तथा पुर यानि नगर। इस प्रकार मीरजापुर यानि लक्ष्मी का नगर अर्थात धन-धान्य से पूर्ण जन-निवास।
मीरजापुर अपने कार्पेट उद्योग, पीतल के बर्तन और सीमेण्ट उद्योग के लिये जाना जाता है। उत्तर प्रदेश की पहली काॅटन मिल, गंगा काॅटन मिल, मीरजापुर में ही लगायी गयी थी जो अब बन्द हो चुकी है। आजादी के बाद भी काफी समय तक उत्तर प्रदेश सरकार को सेल्स टैक्स के रूप में सबसे ज्यादा राजस्व की प्राप्ति मीरजापुर से ही, इसके पीतल के बर्तनों के भारी उद्योग से होती थी जो कि अब काफी सिमट चुका है।
आजादी के समय मीरजापुर उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा तथा सबसे समुन्नत और समृद्ध तथा सबसे बड़े औद्योगिक जिलों में से एक था। मीरजापुर अपने प्रागैतिहासिक, ऐतिहासिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, भौगोलिक, औद्योगिक, व्यवसायिक, कलात्मक महत्व के साथ-साथ अपनी प्राकृतिक और नैसर्गिक सुन्दरता के लिये जाना जाता है। हिन्दुस्तान के शायद ही किसी जिले में इतनी विविद्यतायें देखने को मिलेगीं।
मीरजापुर एक धार्मिक और आध्यात्मिक नगरी
शहर से मात्र 5 किमी दूर विन्ध्याचल धाम में माँ विन्ध्यवासिनी वहाँ से मात्र 2 किमी दूर पहाड़ पर माँ अष्टभुजा तथा वहाँ से दो किमी दूर पहाड़ से नीचे उतरकर स्थित माँ काली का त्रिकोण और भारत की पवित्र नदी गंगा जो शहर के पास से ही गुजरती है – इस जिले को धार्मिक नगरी बना देते हैं।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विन्ध्य क्षेत्र का बहुत बड़ा महत्व है – उपनिषद में कहा गया है कि ‘‘विन्ध्य क्षेत्रं समं क्षेत्रं नास्ति ब्रह्माण्ड गोलके‘‘ अर्थात विन्ध्य क्षेत्र के समान पवित्र क्षेत्र पूरे ब्रह्माण्ड में कहीें नही है।
शहर से मात्र 7 किमी की दूरी पर अष्टभुजा पहाड़ के जंगलों में आज भी तमाम् गुमनाम साधु तपस्या के लिये आते हैं क्योंकि इसे हिमालय के बाद दूसरे स्थान पर सबसे पवित्र आध्यात्मिक क्षेत्र माना जाता है।
बहुत से संतों ने यहाँ अपना आश्रम भी बना रखा है।
गुरुदेव नगर आश्रम, मीरजापुर शहर से 40 किमी की दूरी पर मीरजापुर घोरावल मार्ग पर स्थित।
देवरहा बाबा आश्रम, मीरजापुर शहर से 12 किमी की दूरी पर पहाड़ों के नजदीक स्थित।
अड़गड़ानन्द आश्रम, मीरजापुर शहर से 45 किमी दूर चुनार से तकरीबन 20 किमी की दूरी पर शक्तेषगढ़ की शान्त और रमणीय पहाडि़यों पर एक बेहद खूबसूरत सिद्धनाथ जल प्रपात के पास स्थित।
मीरजापुर एक प्राकृतिक और नैसर्गिक नगरी
ईश्वर कोई बहुत खूबसूरत जगह का निर्माण करता चाहता था तो उसने मीरजापुर बनाया उसने इसे दक्षिण की ओर विन्ध्य पर्वत श्रेणी की विशाल श्रृंखला से सजाया तो उत्तर की ओर परम् पावन गंगा नदी से नवाजा और दोनो के बीच मीरजापुर शहर विकसित हुआ।
एक ओर विन्ध्य पर्वत श्रृंखला और दूसरी ओर परम् पावन गंगा नदी, आकाशीय मार्ग से निःसन्देह इसकी खूबसूरती अप्रतिम प्रतीत होगी।
मीरजापुर में बड़ी संख्या में जल प्रपात, झरनें, कुण्ड, तालाब और छोटी-छोटी नदियाँ हैं। पर दुःख की बात ये है कि बहुत से खूबसूरत झरनों का शहर के लोगों को ही पता नही है। जिले के 90 प्रतिशत लोग मात्र 8 से 10 जल प्रपातों से ही परिचित हैं। पिछले 11 वर्षों में स्वयं जंगलों में भटकते हुये मैने 46 जलप्रपातों के बारे में जाना जबकि मेरा एक अनुमान है कि तकरीबन इनकी संख्या 60 से ऊपर है। यानि अभी मैं खुद 25 प्रतिशत जगहों से अनजान हँू।
जोगियादरी वाॅटर फाॅल
एक बेहद खूबसूरत वाॅटर फाॅल शहर से मात्र 45 किमी की दूरी पर मीरजापुर चुनार मार्ग पर पड़री से दक्षिण दिशा की ओर।
कुशियरा वाॅटर फाॅल
एक शानदार प्राकृति झरना जो आपका मन मोह लेगा। शहर से 38 किमी दूर, मीरजापुर इलाहाबाद मार्ग पर गैपुरा से दक्षिण दिशा की ओर। या मीरजापुर रीवाँ रोड से लालगंज से उत्तर दिशा की ओर।
बोकरियादरी वाॅटर फाॅल
शहर से मात्र 18 किमी दूर मीरजापुर लालगंज मार्ग पर शान्त वातावरण में कल कल कर बहता हुआ झरना।
मुक्खा वाॅटर फाॅल
मीरजापुर शहर से 60 किमी दूर घोरावल के पास सोनभद्र जिले में स्थित एक बेइन्तहाँ खूबसूरत वाॅटर फाॅल जहाँ से आपका वापस आने का मन नही करेगा।
अलोपीदरी वाॅटर फाॅल
शहर के शोर शराबे से 35 किमी दूर जंगल के अन्दर खामोश और बेहद शान्त माहौल में मौजूद एक अत्यन्त रमणीय झरना। मीरजापुर चुनार मार्ग पर पड़री से दक्षिण दिशा की ओर।
खड़ंजा वाॅटर फाॅल
शहर के नजदीक मात्र 12 किमी की दूरी पर स्थित एक प्राकृतिक पिकनिक स्पाॅट जहाँ बच्चे भी बिना डरे नहा सकते हैं क्योकि यहाँ बह जाने या डूबने का खतरा नही है।
विंढम वाॅटर फाॅल
मीरजापुर शहर से मात्र 14 किमी की दूरी पर मीरजापुर राबटर््सगंज मार्ग पर स्थित जिले का सबसे मशहूर झरना जहाँ बारिश के मौसम में अवकाश के दिनों में हजारों लोग पिकनिक मनाने पहुँुचते हैं। जहाँ शासन द्वारा बच्चों के खेलने के लिये पार्क भी विकसित किया गया है।
टाँडा वाॅटर फाॅल
शहर से बेहद नजदीक मात्र 7 किमी की दूरी पर मीरजापुर लालगंज मार्ग पर पहाड पर एक बेहद खूबसूरत वाॅटर फाॅल पर इसकी खूबसूरती तेज बारिश के दिनों में ही दिखती है बाकी समय में पानी कम हो जाता है क्योंकि पानी का इस्तेमाल रिजर्वायर बनाकर अन्य कार्य के लिये किया जाता है। आज से 25 साल पहले तक शहर में पीने के पानी की सप्लाई यहीं के रिजवार्यर से होती थी, यहाँ का पानी थोड़ा मीठा, स्वादभरा और स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा होता है।
सिरसी वाॅटर फाॅल
शहर से मात्र 45 किमी की दूरी पर स्थित एक ऐसा स्थान जहाँ आपको जंगल की असली वीरानी महसूस होगी। वाटर फाॅल से 6-8 किमी पहले ही आपको इसके पानी को बाँध बनाकर रोके गये विशाल रिजवार्यर के बगल से गुजरते हुये इसके समुद्र से लहराते हुये पानी को देखने का भी रोमांचकारी आनन्द देखने को मिलेगा। पर अब वाटर फाॅल के नजदीक जाने के रास्ते को बंद कर दिया गया है क्योकि यहाँ भालू या तेंदुये आदि का खतरा बना रहता है जो अक्सर यहाँ पानी पीने आते हैं।
सिद्धनाथ की दरी वाॅटर फाॅल
मीरजापुर शहर से मात्र 45 किमी की दूरी पर मीरजापुर से चुनार और फिर चुनार से दक्षिण दिशा की ओर। खूबसूरती और रमणीयता तथा पहुँचने का साधन यानि आराम से आपकी गाड़ी झरने के बिल्कुल नजदीक तक पहुँच सकती हैं क्योंकि शासन प्रशासन द्वारा इसको पिकनिक स्पाॅट के रूप में डेवलप किया गया है जहाँ आपको अन्य शहरों काफी लोग पिकनिक मनाते हुये मिल जाय
लेखनियादरी वाॅटर फाॅल
मीरजापुर शहर से चुनार फिर चुनार से अहरौरा फिर अहरौरा से तकरीबन 10 किमी की दूरी पर स्थित एक ऐसा झरना जिसे आप अपनी कार या बस में बैठे-बैठे भी देख सकते हैं। यहाँ भी प्रशासन की ओर से सुविधाओं के साथ-साथ सुरक्षा की भी व्यवस्था है। इसी क्षेत्र में आदि मानवों की गुफायें मिली है जहाँ हजरों साल पूर्व बनाये गये भित्ती चित्र मौजूद हैं इन चित्रों और लेखों की वजह से ही इसका नाम लेखनिया पड़ा।
राजदरी वाॅटर फाॅल
यदि आप यहाँ बारिश के दिनों में जायें जब ये अपने पूरे शबाब पर हो तो नियाग्रा वाॅटर फाॅल को देखने के लिये विदेश जाने की जरुरत नही पड़ेगी। मीरजापुर शहर से मात्र 102 किमी दूर, चुनार से अहरौरा फिर अहरौरा से चन्दौली में पड़ने वाला यह जल प्रपात अपनी खूबसूरती के लिये काफी दूर-दूर तक चर्चित है पूरे रास्ते में आपको पुलिस की बख्तरबन्द गाडि़याँ भी दिखायी देंगी क्योंकि नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण यहाँ शाम के 6 बजे के बाद अलाऊ नही है।
राजदरी वाॅटर फाॅल
मीरजापुर शहर से मात्र 102 किमी की दूरी पर चन्दौली में राजदरी से मात्र 250 मीटर की दूरी पर देवदरी वाॅटर फाॅल जिसे आप बस दूर से देख सकते हैं, एक बेहद खूबसूरत जल प्रपात है जहाँ काफी ऊँचाई से झरना नीचे गिरता है और एक बेहद मनोहारी दृश्य पैदा करता है।
चूनादरी वाॅटर फाॅल
मीरजापुर शहर से तकरीबन 72 किमी दूरी पर चुनार से अहरौरा फिर अहरौरा से 10 किमी दूर लेखनिया वाटर फाॅल और फिर लेखनिया से पहाड़ के ऊपर दो किमी दूर जंगल के अन्दर स्थित चूनादरी वाटर फाॅल जिले के सबसे खूबसूरत झरनों में से एक है। जंगल से मोहब्बत करने वालों के लिये ये जगह बहुत रोमांचकारी है।
पेहती की दरी वाॅटर फाॅल
मीरजापुर से 47 किमी की दूरी पर चुनार से 7 किमी पहले दक्षिण दिशा की ओर लहौरा गाँव से जंगल की ओर जहाँ तकरीबन 3 किमी आपको पैदल चलना होगा क्योकि यहाँ आपकी मोटर साइकिल भी नही जा सकती। पर यहाँ की जंगल ब्यूटी देखकर आपकी सारी थकान मिनटों में गायब हो जायेगी।
भैरो कुण्ड एवं जल प्रपात
मीरजापुर शहर से मात्र 7 किमी की दूरी पर विन्ध्याचल से दो किमी की दूरी पर अष्टभुजा मन्दिर के पास स्थित छोटा सा झरना जहाँ आपको पूरे वर्ष लोग मिलेगें यहाँ के कुण्ड का पानी पीने लायक है जो पहाड़ों के अन्दर से आता है और मिनरल्स से भरपूर है।
काली कुण्ड एवं जल प्रपात
मीरजापुर शहर से मात्र 7 किमी की दूरी पर मीरजापुर विन्ध्याचल से दो किमी की दूरी पर कालीखोह के मन्दिर के पास स्थित छोटा सा झरना जहाँ आपको बारिश के ही कुछ महीने तक आपको पानी मिलता है बाकी 8 से 9 महीने सूखा पड़ा रहता है पर यहाँ का माहौला काफी शान्तिप्रिय है और मन्दिर के इर्द गिर्द काफी बड़ी संख्या में लंगूर हैं जिनको आप वहीं से चने खरीदकर खिला सकते हैं और ये आपके हाथ से ही उठा-उठाकर चने खाते हैं और अभी तक कभी किसी को इन्होने नुकसान नही पहुँचाया।
मेजा रिजर्वायर
मीरजापुर शहर से तकरीबन 50 किमी दूरी पर सिरसी के पास ये एक बहुत बड़ा रिजर्वयार है जहाँ पानी का बहाव देखते ही बनता है।
जरगो जलाशय
मीरजापुर शहर से तकरीबन 45 किमी दूरी पर चुनार से अहरौरा मार्ग मीरजापुर के सबसे बड़े जलाशयों में से एक जरगो, पिकनिक स्पाॅट के रूप में मशहूर है जहाँ लोग बड़े-बड़े ग्र्रुप में एकसाथ पूरे दिनभर के लिये पिकनिक मनाने आते हैं।
मीरजापुर एक प्रागैतिहासिक नगरी
पुरातत्वविदों और शोधकर्ताओं नें अब तक यहाँ 100 से अधिक प्रागैतिहासिक गुफाओं को खोजा है। जिले में सबसे पहली गुफा की खोज एक अंग्रेज आर्चवाल्ड कार्लाइल ने की सन् 1880 में की थी। डा0 एस ए साली ने इन गुफाओं को 25 से 40 हजार वर्ष पूर्व की माना है।
1989-90 को स्वतंत्र भारत के पत्रकारों की एक टीम अहरौरा की गुफाओं के सर्वे पर निकली और 28 जनवरी 1990 को स्वतंत्र भारत में आधे पेज का एक लेख प्रकाशित हुआ जिसका शीर्षक था ‘‘मीरजापुर के थिरकते शैल चित्र‘‘ जिसमें उन्होने यह बताया कि कार्बन डेटिंग पद्धति के आधार पर यह भित्ति चित्र 25 से 40 हजार वर्ष पुराने हैं। यह मीरजापुर के प्रागैतिहासिक महत्व को दर्शाता है।
मीरजापुर एक ऐतिहासिक नगरी
प्रसिद्ध उपन्यास चन्द्रकांता संतति में आपने जिस नौगढ़, विजयगढ़ और चुनारगढ़ का जिक्र सुना था उनमें से एक चुनारगढ़ मीरजापुर में ही है। मीरजापुर से महज् 35 किमी दूर यहाँ आज भी ये किला मौजूद है। इसमें विक्रमादित्य के बड़े भाई भत्र्रिहरि की समाधि भी है जिन्होने अपने जीवन के अन्तिम समय में यहाँ तपस्या की थी। ये किला गंगा नदी के तट पर स्थित है और इसी किले की दीवार या इस पहाड़ से टकराकर गंगा उत्तरवाहिनी होती हैं और वाराणसी की ओर चली जाती है।
शहीद उद्यान
स्वतंत्रता की लड़ाई में मीरजापुर एक अहम् जिला था। बड़े-बड़े स्वतंत्रता सेनानियों के लिये ये नगरी अत्यन्त महत्वपूर्ण थी। उन सभी की याद में यहाँ एक बेहद खूबसूरत उद्यान ‘शहीद उद्यान‘ का निर्माण कराया गया जहाँ सभी प्रमुख क्रान्तिकारियों की मूर्तियाँ मौजूद हैं।
मीरजापुर हिन्दुस्तान की एक महत्वपूर्ण भौगोलिक नगरी
भौगोलिक दृष्टिकोण से मीरजापुर हिन्दुस्तान की सबसे महत्वपूर्ण नगरी है क्योंकि भारत में जिस 82 दशमलव 5 डिग्री लाॅन्गीट्यूड से समय की गणना की जाती है वह मीरजापुर से ही होकर गुजरती है और इस वजह से मीरजापुर देश के लिये भौगोलिक दृष्टिकोण से भी अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाता है।
मीरजापुर एक कलात्मक नगरी
स्थपत्य कला में इस नगरी का कोई सरोकार नही है। मीरजापुरी पत्थरों पर नक्काशी करके बनायी गयी इमारतों, कुओं, घाटों, मन्दिरों और कूओं को देखकर आँखें पलकें झपकाना विस्मृत कर जाती हैं।
घंटाघर
मीरजापुरी पत्थरों पर की गयी नक्काशी का बेजोड़ नमूना यहाँ के घटाघर को भारत के सबसे खूबसूरत घंटाघर होने का सौभग्य प्राप्त है। 31 मई 1891 में बने इस घंटाघर की नक्काशी को देखकर आप आश्चर्यचकित हो उठेगें।
पक्काघाट
मीरजापुरी पत्थरों पर की गयी नक्काशी का एक और बेजोड़ नमूना आपको शहर के सबसे प्रमुख बाजारों में से एक पक्काघाट में मिल जायेगा। गंगा नदी के किनारे बने इस घाट की नक्काशी, आपको पूरे वाराणसी के किसी घाट पर नही मिलेगी।
कूयें
मीरजापुरी पत्थरों पर की गयी नक्काशी का अद्भुद सौन्दर्य आपको शहर में जगह-जगह बने कूओं से मिल जायेगा।
एक पिकनिक स्पाॅट ही किसी शहर को प्रसिद्धि दिलाने के लिये पर्याप्त है पर हम मीरजापुर की बात करें तो झरनें, नदियों और पानी की दरियों की एक फेहरिश्त है जहाँ साल में 6 से 8 महीने तक झरनें अपनी पूरी शान ओ शौकत से बहते रहते हैं। आप यहाँ बारिश के दिनों में ही नही बल्कि नवम्बर से फरवरी के बीच भी घूमने जा सकते हैं।
क्या आपको नही लगता यदि मैं कहूँ कि मीरजापुर यानि उत्तर प्रदेश का सबसे खूबसूरत तथा हिन्दुस्तान का सबसे विविधतापूर्ण जिला परन्तु ये सारी सुन्दरता घूँघट के अन्दर ही है सम्पूर्ण हिन्दुस्तान तो दूर की बात है उत्तर प्रदेश में ही लोग इस खूबसूरत जिले से अन्जान हैं। यहाँ तक कि जिले के आसपास के जिलों में भी बहुत कम लोग ही इससे परिचित हैं। इतना ही नही खुद मीरजापुर जिले में ही 90 प्रतिशत लोग मात्र 10 से 12 वाटर फाॅल्स के बारे में ही जानते हैं। जबकि मैं, पिछले दस सालों में 46 छोटे-बड़े वाटर फाल की फोटो लेने के बाद भी ये बात विश्वास से कह सकता हूँ कि अभी भी मैं यहाँ की 30 प्रतिशत खूबसूरती से अन्जान हूँ। इतना जरूर है कि मैं कुदरत द्वारा इसे प्रदत्त इसकी खूबसूरती को चर्चा ए आम कर देने को कटिबद्ध हूँ और आप सभी का भी आह्नान करता हूँ कि एक बार इस प्राकृतिक जंगलीय सुन्दरता का आनन्द जरूर उठायें, ये मेरा दावा है कि एक बार इसकी आगोश में आने के बाद आपका वहाँ से वापस आने का मन नही करेगा।
दीपक कपूर
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